कुछ यूँ ही धुंधली पड़ गयी होगी वो तसवीर मेरी,
जिसको बड़ी शिद्दत से, मैंने तेरे दिल में उकेरा था,
बीते लम्हों को याद कर, पूछ बैठता है ये पागल दिल मुझसे अकसर,
हकीकत थे वो लम्हे प्यार के, या यूँ ही पलकों पर ख्वाबों का बसेरा था,
वो घड़ियाँ बेमिसाल थी, जब ढला करती थी तेरी बाहों में सांझें,
वो वक़्त नायब था, जब तुझसे शुरू - तुझपे ख़त्म हर ख्वाब मेरा था,
राहें भी तब खो गयीं, जब तुझ बिन चलने की आदत ना थी हमें,
खो गए थे गहरी रात में हम और बड़ी दूर वो सवेरा था,
एक मुद्दत लगी उन जख्मों को भरने में, जो तेरे इश्क ने थे तोहफे में दिए,
रात सो गयी वक़्त के आगोश में, इस दिल में कायम अब भी वो अँधेरा था,
कुछ यूँ ही धुंधली पड़ गयी होगी वो तसवीर मेरी,
जिसको बड़ी शिद्दत से, मैंने तेरे दिल में उकेरा था
hmm... so i found this vault... I guess it is your least visited blog...
ReplyDeleteकुछ यूँ ही धुंधली पड़ गयी होगी वो तसवीर मेरी,
जिसको बड़ी शिद्दत से, मैंने तेरे दिल में उकेरा था |
I love this thing :)
It pierces through the heart!
Very Well Written !
Keep blogging Priyanka...
I am watching u :P
GvSparx
ReplyDeletebut still you managed to hunt it.. :)
thanks for ur footprints here.. i hv started blogging in hindia a few days ago, guess people dnt have much intrst in hindi verses, but i love writing in hindi as well..
keep watching n keep visiting..
thanks dear.. :)
Wow ... got the 1st song for our band :D
ReplyDeletebeautiful poem!
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