Saturday, June 11

जुगनुओं सी ख्वाहिशें



जगमगाते जुगनुओं के जैसी ख्वाहिशें उड़ रही हैं ,मेरे हर ओर,
उलझन में है दिल, किसको जाने दूं ,किसको मुठ्ठी में बंद कर लूं,
उमंगो और ख्वाबों से भरी हुई है ,ये ज़िन्दगी लबालब,
किस ख्वाब को आंसुओं में बहा दूं, कौन सी उमंग आँखों में भर लूं,
यूँ तो ज़िन्दगी की राह में बिखरे काँटों से घायल हैं , पाँव मेरे,
उलझन में है ये नादान दिल, कौनसी राह छोड़ दूँ, चुन कौनसी राह-ए-गुज़र लूं,
बीते वक़्त के पन्नो में गुम हैं बेशकीमती पल ,मेरी ज़िन्दगी के,
आगे चलते रहना उसूल है ज़माने का, एक बार पीछे मुड़ के देख मगर लूं.
जगमगाते जुगनुओं के जैसी ख्वाहिशें उड़ रही हैं ,मेरे हर ओर,
उलझन में है दिल, किसको जाने दूं ,किसको मुठ्ठी में बंद कर लूं,

1 comment:

  1. wow....awesome one huneybug,,,,,,really nice....true feelings...

    ReplyDelete