हमें लगा हम से नाता तोड़ कर कहीं दूर जा रहा था वो
मुह मोड़ कर हमसे, हमारी हर नब्ज़ को आजमा रहा था वो
कभी यूँ भी लगा की बेवजह सजा दे कर हमको रुला रहा था वो
मगर जब रु-ब-रु हुए हकीकत से तो नज़रें झुक गयी हमारी
सबका खुदा होने के नाते, कुछ अंधियारी गलियों में दीप जला रहा था वो
इतना तो यकीं था उसको, के लांघ लेंगे हर अँधेरे को हम तो अकेले ही
जिनको थी उसके सहारे की जरुरत, उनका साथ निभा रहा था वो
हमसे की थी उसने इंसान होने का फ़र्ज़ निभाने की मासूम सी गुज़ारिश
अपने खुदा होने का फ़र्ज़ तो हर कदम पे बखूबी निभा रहा था वो
इस दीपावली गर हाथ उठें दुआ मांगने के लिए, तो कोशिश कीजियेगा की इश्वर से वो मांगे सकें जो हमारा हक़ है, इंसानियत की कसौटी पर चलने का हौंसला..
शुभ दीपावली
शुभ दीपावली
Beautiful!!
ReplyDelete@कुछ अंधियारी गलियों में दीप जला रहा था वो
ReplyDeleteवाह!
reacharcs..
ReplyDeletewelcome to my blog and thanks a lot
स्मार्ट इंडियन ,,,
ReplyDeletethanks for visiting my blog i wlecome u here...
Your Hindi poems are brilliant ... why don't you write more?
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